तुम जो कहो, सच वही, अच्छा जी?
बात गलत तो भी सही, अच्छा जी?
तुमने माना तुम झूठे थे, लेकिन इसमें
होगी मेरी ही कोई कमी, अच्छा जी?
तुमने जिसको चाहा वो अच्छा था
बाकी सारी दुनिया बुरी, अच्छा जी?
क़त्ल हुआ मैं तुमसे लेकिन उसमें भी
होगी कोई खता मेरी, अच्छा जी?
सारी बस्ती अंधेरों में कांपती है औ’
तुम्हारे महल में रौशनी, अच्छा जी?