एक आस थी
जो दिल के क़रीब थी
होंठों को नसीब थी
थोड़ी अजीब थी
शायद फ़रेब थी
एक स्पर्श था
तुम्हारी हसीन बाँहों का
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों का
तुम्हारी कांपती उँगलियों का
और अब…
एक एहसास
मेरे बदन में चलता है
मेरे लहू में बहता है
मेरी नसों में फड़कता है
मेरी आँखों में तैरता है
मुझे जगाता है
तुम्हारे पास बुलाता है
आस ही बेहतर थी…