पलकों पे हमारी पलते हैं आंसू
दिल नदी में मचलते हैं आंसू
दिखते हैं पानी की धार के जैसे
छू लो इन्हें तो जलते हैं आंसू
खुशी हो या गम, देते हैं साथ ये
कभी तो बेवजह ढलते हैं आंसू
देख के इनको मत फेरो निगाहें
सुनो गौर से क्या कहते हैं आंसू
दर्द जहां का समेटे हुए खुद में
तन्हाइयों में रक्स करते हैं आंसू
शाम होते ही चले आते हैं देखो
रात फूलों से महकते हैं आंसू