रात की तारीकियाँ और बढ़ा देता हूँ
आज मैं तेरे ख़त सारे जला देता हूँ
तेरा नाम दिल की रेत पर हर्फ़ हर्फ़
अपने खूं से लिखता हूँ, मिटा देता हूँ
मेरे गुनाहों की फेहरिस्त लाया है तू
आ देख तुझे आईना दिखा देता हूँ
मुझसे बच्चों के आंसू नहीं देखे जाते
चंद किस्से नादानी के सुना देता हूँ
मेरे यार! तुझे और भी लुत्फ़ आएगा
तेरी मय में कुछ आंसू मिला देता हूँ