चुपचाप ज़ुल्म सहना, ये तो ग़लत है ना
सच से मुँह फेर लेना, ये तो ग़लत है ना
इश्क़ में सुध-बुध खोना तो लाज़मी है
रात रात तारे गिनना, ये तो ग़लत है ना
तुम्हें यक़ीं नहीं है वफ़ा पे मेरी ना सही
सरे-महफ़िल कहना, ये तो ग़लत है ना
मुझसे मुँह फेरना ठीक है मगर बाद उसके
छुप-छुप मुझे देखना, ये तो ग़लत है ना
मेरे गुनाहों की फ़ेहरिस्त लम्बी है फिर भी
खताएँ माफ़ ना करना, ये तो ग़लत है ना