मेरी बहनों!
मैं एक बार फिर
तुम्हें सुरक्षित रखने का वचन देता हूँ
मगर हर बार की तरह इस बार…
तुम्हारे गिर्द कोई दीवार खड़ी कर के
तुम्हें आवाज़ धीमी रखने की सलाह
और नज़र नीची करने की हिदायत दे कर नहीं
दबी हुई चीख़ मौन नहीं है
कायरता हमेशा बुद्धिमत्ता का प्रतीक नहीं होती
पंछी पिंजरों में सुरक्षित नहीं,
सिर्फ़ क़ैदी होते हैं
इस बार मैं तुम्हें सच्ची सुरक्षा दूँगा
तुम्हारे स्वर को अपनी आवाज़ देने का
तुम्हारे कांधों को संबल देने का
तुम्हारे क़दम में क़दम मिलाने का
तुम्हारे साथ खड़ा रहने का वचन दूँगा।
बढ़ो मेरी बहनों,
सलाखों को गिराते हुए
दीवारें ढहाते हुए
नए रास्ते बनाते हुए बढ़ो।
आसमानों को तलाश है तुम्हारी।