गुज़ारूंगा ज़रा वक़्त गुज़र जाऊंगा
फिर ढूंढोगे मुझे, कहाँ नज़र आऊंगा
हुआ मेरे दम से सवेरा आज औ’ कल
सियाह रात की मानिंद गुजर जाऊंगा
है थकन ही सिला मेरी कोशिशों का
खो गई मेरी मंज़िल, मैं गुज़र जाऊंगा
ना रोकूंगा रास्ता, ना पुकारूंगा मगर
हर मुश्किल में तुझे पास नज़र आऊंगा
मैं अहद पे सर अपना कटा सकता हूं
नेता नहीं जो ऐन वक़्त मुकर जाऊंगा