हमारा दिल कुछ ऐसे काम में लाया गया
इक दिया बार-बार जलाया गया बुझाया गया
शहर में आग लगी थी तो ये लाज़िमी था
एक मक़तूल को ज़िम्मेदार ठहराया गया
इन सियासी झगड़ों से आखिर क्या निकला
सरहद पे कुछ और जवानों का खूं बहाया गया
तुम्हारे हसीं ख़्वाबों की तामील के लिए
मसीहा को फिर एक बार सूली पे चढ़ाया गया