तुमने बड़ी आसानी से कह दी दिल की बात
मुझे ख़ुद को देर तक समझाना बहुत पड़ा
उसने एक नज़र भर के देखा था मुझे यूँ ही
मुझे ख़ुद से मिलने दूर जाना बहुत पड़ा
आज बारिश में भीगती देखी फिर मुहब्बत
मुझे ख़त उसके पढ़के जलाना बहुत पड़ा
मेरी माँ की दुआएँ चली उम्र भर मेरे साथ
दो जहाँ ख़रीदने को ये ख़ज़ाना बहुत पड़ा
‘ओझल’ इस दिल की मजबूरियाँ क्या कहिए
अश्कों को छुपाने के लिए गाना बहुत पड़ा