तेरे हसीन लबों का अनमोल तोहफ़ा चाहिए
अर्ज़-ए-मुहब्बत के जवाब में बोसा चाहिए
सुनते है वफ़ा के क़िस्से बोरिंग हो गए हैं
सो हमने तय किया इश्क़ में धोखा चाहिए
ईमानदारी का आलम है दफ़्तरों में कुछ यूँ
चाय-पानी के साथ-साथ समोसा चाहिए
सलाहियत-ए-सुख़न गर चाहिए ‘ओझल’
समन्दर-ए-ज़ीस्त में गहरा गोता चाहिए