कोई छोड़ के जाएगा घर, हम रोएंगे नहीं
बात रोने की तो है मगर हम रोएंगे नहीं
पांव में छाले, राह में जंगल, साथ कोई नहीं
माना कठिन है ये सफ़र, हम रोएंगे नहीं
तूफ़ानों ने पहले भी रोका है रास्ता अपना
खोई है आज फिर डगर, हम रोएंगे नहीं
तेरी खातिर अपनी खुशियां बेच दीं और तू
गैर के पहलू में आया नज़र, हम रोएंगे नहीं
हमें पता है पत्थर को भी काटता है पानी
कहीं वो जाए ना बिखर, हम रोएंगे नहीं
अब तो लहू नहीं बेहिसी दौड़ती है बदन में
आए अब कैसी भी खबर, हम रोएंगे नहीं
हमें खौफ नहीं संजीदगी से, यकीं मानो
हमें बस इस बात का डर, हम रोएंगे नहीं
हमारे हौसले आज़माता आया है ज़माना
आ देख ले तू भी सितमगर, हम रोएंगे नहीं