इरफ़ान के नाम

मैं तुम्हारे जाने का सोग मनाऊं क्यूं
तुम तो मेरे कुछ भी नहीं
भाई, ना पिता
सखा ना मीत
तुम्हें तो एहसास भी नहीं
मेरी मौजूदगी का

तुम गए तो इसमें कौन सी थी बात नई
ऐसा क्या था जो पहले हुआ नहीं
कौन सी शय है जो कम हुई है
क्या काम है जो तुम बिन हो सकता नहीं

ये भी सोचता हूं मैं अब कि
ऐसा कौन सा रिश्ता था हमारे बीच
ऐसा क्या था जो अब रहा नहीं
तुमने कौन सा अहद किया था जो टूट गया
मैंने तो तुमसे कभी कुछ मांगा नहीं
तुमने मेरी कब थी आवाज़ सुनी

मगर देखो
आज तुम्हारे बिन ये दिल उदास सा है
आज कहीं मेरा मन लगता नहीं
आज हर दिशा सूनी सूनी सी है
शाम का रंग भी कुछ उतरा सा है
जाने क्यूं है नमी सी मेरे गालों पे
सब कुछ आज धुंधला धुंधला सा है

मै बार बार समझाता हूं दिल को
तुम मेरे कुछ नहीं, मैं कोई नहीं तुम्हारा
सो आज तुम्हारे जाने का क्यूं मैं सोग मनाऊं
क्यूं तुम्हारी तस्वीर पे मैं आंसू बहाऊं

मगर ये दिल भी बड़ा ज़िद्दी है
तुम्हारी हर अदा याद है इसे
कहता है ये पलट कर मुझसे
जिसने बांटी तुझे इतनी खुशी
जिस में खुद को ढूंढा तूने कभी
उसके जाने पे क्यूं ना होगा तुझे गम
तेरी आंखें भला क्यूं ना होंगी नम

सो मेरे दोस्त, मेरे दिलबर,
आज की शाम
मै उठाता हूं तेरे नाम इक जाम
तू जहां भी रहे, खुश रहे, आबाद रहे
तेरी हंसी गूंजे, हर दिशा शाद रहे
आज मेरी सारी दुआएं लेता जा
जाना है जो तुझे मुस्कुराते हुए जा
सब आते हैं रोते हुए दुनिया में
मेरे यार
तू जा रहा है तो गाते हुए जा।

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